जावेद चित्रकारी को पूजा की तरह मानते हैं और यही कारण है की आज तक उन्हों ने अपनी कला का मूल्य नहीं लगाया है. देश के लगभग सभी बड़े शहरों और पवित्र स्थलों पर अपनी चित्रकारी के नमूने निःशुल्क दिखाते रहे हैं. वर्त्तमान में वे ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश के सदस्य हैं. अपने कुछ प्रशंसकों के बहुत अनुरोध के बाद वे अपनी कलाकृतियों को ब्लॉग के माध्यम से इन्टरनेट पर लाने को तैयार हुए. प्रयास हम लोगों का है प्रोत्साहन, प्रशंसा आप लोगों को दिखानी है. सहयोग की आकांक्षा के साथ जावेद और कुमारेन्द्र
बिन बरसे बादल
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